faiz ahamad faiz ki shayri in hindi
"ख़ैर दोज़ख़ में मय मिले न मिले शैख़-साहब से जाँ तो छुटेगी" "मिन्नत-ए-चारा-साज़ कौन करे दर्द जब जाँ-नवाज़ हो जाए" "अगर शरर है तो भड़के जो फूल है तो खिले तरह तरह की तलब तेरे रंग-ए-लब से है" "अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे गुनाहगार-ए-नज़र को हिजाब आता है" "ग़म-ए-जहाँ हो रुख़-ए-यार हो कि दस्त-ए-अदू सुलूक जिस से किया हम ने आशिक़ाना किया" "तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे" "हम सहल-तलब कौन से फ़रहाद थे लेकिन अब शहर में तेरे कोई हम सा भी कहाँ है" "फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमएँ जलीं फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम" "हर सदा पर लगे हैं कान यहाँ दिल सँभाले रहो ज़बाँ की तरह" "शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न की शुक्र है ज़िंदगी तबाह न की" "मिरी जान आज का ग़म न कर कि न जाने कातिब-ए-वक़्त ने किसी अपने कल में भी भूल कर कहीं लिख रखी हों मसर्रतें" "तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज