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Showing posts from January, 2023

ज़ाकिर खान के 20 मशहूर शेर

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जाकिर खान के मशहूर 20 शेर में आपका स्वागत है। सहरसा शायरी आपको आज प्रोवाइड करने जा रहा है ज़ाकिर खान के मशहूर शायरी। आशा करता हूं आपको ये शायरी खूब पसंद आएगी।                                                           “ मेरी जमीन ….   तुमसे गहरी रही है वक़्त आने दो आसमान भी तुमसे ऊंचा रहेगा ”   “ लूट रहे थे खजाने मां बाप की  छाव मे हम कुड़ियों के खातिर घर छोड़ के आ गए ” “ कामयाबी तेरे लिए हमने खुद को कुछ यूं तैयार कर लिया मैंने हर जज़्बात बाजार में रख कर एश्तेहार कर लिया ”   “ यूं तो भूले हैं हमने लोग कई पहले भी बहुत से पर तुम जितना कोई उन्मे सें कभी याद नहीं आया ”   “ इंतकाम सारे पूरे किए पर इश्क अधूरा रहने दिया बता देना सबको की में मतलबी बड़ा था , हर बड़े मुकाम पे तन्हा ही मैं खड़ा था ” “ मेरे घर से दफ्तर के रास्ते में तुम्हारी नाम की एक दुकान पढ़ती हैं विडंबना देखो वहां दवाइयां ...

राहत इन्दोरी के 25 मशहूर शायरी

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नमस्कार दोस्तों , SHC Poetry  में  आपका स्वागत है । आज हम ले कर आये हैं आपके लिए राहत इन्दोरी साहब के 25 बेस्ट शायरी। उम्मीद है आपको बहुत पसंद आएगी। धन्यवाद।      “ उस की याद आई है , सांसो जरा आहिस्ता चलो        धडकनों से भी इबादत में , खलल पड़ता है ” “ दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनो की भी राए ली जाए ”  “ न हमसफर न किसी हमनशीन से निकलेगा हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा ”   “ शाखों से टूट जाए , वो पत्ते नहीं हैं हम आँधी से कोई कह दे , कि औकात में रहे ”   “ आंख में पानी रखो , होठों पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है , तो तरक़ीबें बहुत सारी रखो ”   “ हम से पहले भी मुसाफिर कई गुजरे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते ”   “ नए किरदार आते जा रहे हैं मगर नाटक पुराना चल रहा है ”   “ रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है ”   “ बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियान उद जा.एण ”   ...

गुलज़ार साहब के 20 Best शायरी

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                                        गुलज़ार साहब के 20 Best शायरी       || वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी , नफरत भी तुम्हारी थी “ हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते ” वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी ||   || बेशूमार मोहब्बत होगी , उस बारिश   की बूँद को इस ज़मीन से यूँ ही नहीं कोई , मोहब्बत मे इतना गिर जाता है ||   || आप के बाद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है ||   || तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभरेगा कौन ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन || || दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई ||   || तुम्हे जो याद करता हुँ , मै दुनिया भूल जाता हूँ तेरी चाहत में अक्सर , सभँलना भूल जाता हूँ ||       ...