राहत इन्दोरी के 25 मशहूर शायरी
नमस्कार दोस्तों , SHC Poetry में आपका स्वागत है । आज हम ले कर आये हैं आपके लिए राहत इन्दोरी साहब के 25 बेस्ट शायरी। उम्मीद है आपको बहुत पसंद आएगी। धन्यवाद।
“उस की याद आई है, सांसो जरा आहिस्ता चलो
धडकनों से भी इबादत में, खलल पड़ता है”
“दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनो की भी राए ली जाए”
“न हमसफर न किसी हमनशीन से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा”
“शाखों से टूट जाए, वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे, कि औकात में रहे”
“आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है, तो तरक़ीबें बहुत सारी रखो”
“हम से पहले भी मुसाफिर कई गुजरे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते”
“नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है”
“रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है
चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है”
“बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियान उद जा.एण”
“घर के बाहर ढूंढ़ता रहता हूं दुनिया
घर के अंदर दुनिया दारी रहती है”
“वो चाहता था कि कासा खरीद ले मेरा
मैं उस के ताज की कीमत लगा के लौट आया”
“ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो”
मेरी ख्वाहिश है कि, आंगन में न दिवार उठे
मेरे भाई मेरे हिस्से की ज़मीन तू रख ले
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहां हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी
“बीमार को मरज की दवा देना चाहिए
मैं पीना चाहता हूं पिला देना चाहिए”
“हम अपनी जान के दुश्मनों को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं”
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
“अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते”
“सूरज तारे चांद मेरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे”
“मैं परबतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गिली ज़मीन खोद के फरार हो गया”
“एक ही नदी के हैं, ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से, मौत से यारी राखो”
“ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के, कागज़ का बदन
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर, जरा भारी राखो”
“मैं ने अपनी खुश्क आंखों से, लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था, मुझ को पानी चाहिए”
“मजा चखा के ही माना हूं, मैं भी दुनिया को
समझ रही थी कि, ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे”
“रोज़ पत्थर की हिमायत में, गजल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम, निकल पाता है”
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